बेवफाई शायरी! || Infidelity shayari! || part:-1

 बेवफाई शायरी! || Infidelity shayari! 

कहती है दुनिया जिसे प्यार, नशा है , खताह है!
हमने भी किया है प्यार , इसलिए हमे भी पता है!
मिलती है थोड़ी खुशियाँ ज्यादा गम!
पर इसमें ठोकर खाने का भी कुछ अलग ही मज़ा है!


उन्होंने जो किया ये शायद उनकी फितरत है!
अपने लिये तो प्यार एक इबादत है!
न मिले उनसे तो मरकर बता देंगे!
कि कितनी मुहब्बत है इस दिल में!


प्यार किया था तो प्यार का अंजाम कहाँ मालूम था!
वफ़ा के बदले मिलेगी बेवफाई कहाँ मालूम था!
सोचा था तैर के पार कर लेंगे प्यार के दरिया को!
पर बीच दरिया मिल जायेगा भंवर कहाँ मालूम था!


शायरी नहीं आती मुझे बस हाले दिल सुना रही हूँ;
बेवफ़ाई का इलज़ाम है, मुझपर फिर भी गुनगुना रही हूँ;
क़त्ल करने वाले ने कातिल भी हमें ही बना दिया;
खफ़ा नहीं उससे फिर भी मैं बस, उसका दामन बचा रही हूँ।


अगर दुनिया में जीने की चाहत ना होती;
तो खुदा ने मोहब्बत बनाई ना होती;
लोग मरने की आरज़ू ना करते;
अगर मोहब्बत में बेवाफ़ाई ना होती!


जानकार भी तुम मुझे जान ना पाए;
आजतक तुम मुझे पहचान ना पाए;
खुद ही की है बेवाफाई तुमने;
ताकि तुम पर इल्ज़ाम ना आए!


मत पूछ मेरे सब्र की इन्तेहा कहाँ तक है;
तु सितम कर ले, तेरी ताक़त जहाँ तक है;
व़फा की उम्मीद जिन्हें होगी, उन्हें होगी;
हमें तो देखना है, तू ज़ालिम कहाँ तक है!


पल पल उसका साथ निभाते हम;
एक इशारे पर दुनिया छोड़ जाते हम;
समुन्दर के बीच में पहुंचकर फरेब किया उसने;
वो कहता तो किनारे पर ही डूब जाते हम।


वो छोड़ के गए हमें;
न जाने उनकी क्या मजबूरी थी;
खुदा ने कहा इसमें उनका कोई कसूर नहीं;
ये कहानी तो मैंने लिखी ही अधूरी थी।


प्यार में बेवाफाई मिले तो गम न करना;
अपनी आँखे किसी के लिए नम न करना;
वो चाहे लाख नफरते करें तुमसे;
पर तुम अपना प्यार कभी उसके लिए कम न करना।


दुनियाँ को इसका चेहरा दिखाना पड़ा मुझे;
पर्दा जो दरमियां था हटाना पड़ा मुझे;
रुसवाईयों के खौफ से महफिल में आज;
फिर इस बेवफा से हाथ मिलाना पड़ा मुझे।


तेरी दोस्ती ने दिया सकूं इतना;
की तेरे बाद कोई अच्छा न लगे;
तुझे करनी है बेवफ़ाई तो इस अदा से कर;
कि तेरे बाद कोई भी बेवफ़ा न लगे।


जिंदगी देने वाले, मरता छोड़ गये;
अपनापन जताने वाले तन्हा छोड़ गये;
जब पड़ी जरूरत हमें अपने हमसफर की;
वो जो साथ चलने वाले रास्ता मोड़ गये।


वो तो दिवानी थी मुझे तन्हां छोड़ गई;
खुद न रुकी तो अपना साया छोड़ गई;
दुख न सही गम इस बात का है;
आंखो से करके वादा होंठो से तोड़ गई।


इंसान के कंधों पर ईंसान जा रहा था;
कफ़न में लिपटा अरमान जा रहा था;
जिन्हें मिली बे-वफ़ाई महोब्बत में;
वफ़ा की तलाश में श्मशान जा रहा था।



ना पूछ मेरे सब्र की इंतहा कहाँ तक है;
तू सितम कर ले, तेरी हसरत जहाँ तक है;
वफ़ा की उम्मीद, जिन्हें होगी उन्हें होगी;
हमें तो देखना है, तू बेवफ़ा कहाँ तक है।


आग दिल में लगी जब वो खफ़ा हुए;
महसूस हुआ तब, जब वो जुदा हुए;
करके वफ़ा कुछ दे ना सके वो;
पर बहुत कुछ दे गए जब वो बेवफ़ा हुए!


प्यार करने का हुनर हमें आता नहीं;
इसीलिए हम प्यार की बाज़ी हार गए;
हमारी ज़िन्दगी से उन्हें बहुत प्यार था;
शायद इसीलिए वो हमें ज़िंदा ही मार गए!


हमनें अपनी साँसों पर उनका नाम लिख लिया;
नहीं जानते थे कि हमनें कुछ गलत किया;
वो प्यार का वादा करके हमसे मुकर गए;
ख़ैर उनकी बेवाफाई से हमनें कुछ तो सबक लिया!


आग दिल में लगी जब वो खफ़ा हुए;
महसूस हुआ तब, जब वो जुदा हुए;
करके वफ़ा कुछ दे ना सके वो;
पर बहुत कुछ दे गए जब वो बेवफ़ा!


मत ज़िकर कीजिये मेरी अदा के बारे में;
मैं बहुत कुछ जानता हूँ वफ़ा के बारे में;
सुना है वो भी मोहब्बत का शोक़ रखते हैं;
जो जानते ही नहीं वफ़ा के बारे में


आपकी नशीली यादों में डूबकर;
हमने इश्क की गहराई को समझा;
आप तो दे रहे थे धोखा और;
हमने जानकर भी कभी आपको बेवफा न समझा।


क्या बताऊँ मेरा हाल कैसा है;
एक दिन गुज़रता है एक साल जैसा है;
तड़पता हूँ इस कदर बेवफाई में उसकी;
ये तन बनता जा रहा कंकाल जैसा है।


मेरी तक़दीर में जलना है तो जल जाऊँगा;
तेरा वादा तो नहीं हूँ जो बदल जाऊँगा;
मुझको समझाओ न मेरी जिंदगी के असूल;
एक दिन मैं खुद ही ठोकर खा के संभल जाऊँगा।


चाँद निकलेगा तो दुआ मांगेंगे;
अपने हिस्से में मुकदर का लिखा मांगेंगे;
हम तलबगार नहीं दुनिया और दौलत के;
हम रब से सिर्फ आपकी वफ़ा मांगेंगे!


हम तो तेरे दिल की महफ़िल सजाने आए थे;
तेरी कसम तुझे अपना बनाने आए थे;
किस बात की सजा दी तुने हमको बेवफा;
हम तो तेरे दर्द को अपना बनाने आए थे।


लगाया है जो दाग तूने हमें बेवफ़ा सनम;
हाय मेरी पाक मुहब्बत पर;
लगाये बैठे हैं इसे अपने सीने से हम;
प्यार की निशानी समझ कर।


दो दिलों की धड़कनों में एक साज़ होता है;
सबको अपनी-अपनी मोहब्बत पर नाज़ होता है;
उसमें से हर एक बेवफा नहीं होता;
उसकी बेवफ़ाई के पीछे भी कोई राज होता है!


हर धड़कन में एक राज़ होता है;
बात को बताने का एक अंदाज़ होता है;
जब तक ठोकर न लगे बेवाफ़ाई की;
हर किसी को अपने प्यार पर नाज़ होता है।


जनाजा मेरा उठ रहा था;
फिर भी तकलीफ थी उसे आने में;
बेवफा घर में बैठी पूछ रही थी;
और कितनी देर है दफनाने में!


उसके चेहरे पर इस कदर नूर था;
कि उसकी याद में रोना भी मंज़ूर था;
बेवफ़ा भी नहीं कह सकते उसको फराज़;
प्यार तो हमने किया है वो तो बेक़सूर था।


ऐसा नहीं कि आप हमें याद नहीं आते;
माना कि जहाँ के सब रिश्ते निभाये नहीं जाते;
पर जो बस जाते हैं दिल में वो भुलाए नहीं जाते;
बेवफाओं से हर तरह के रिश्ते निभाये नहीं जाते।


वफाओं ​की बातें की हमने जफ़ाओं के सामने​;​
​ ले चले हम चिराग़ हवाओं के सामने​;​
​ उठे हैं जब भी हाथ बदली हैं क़िस्मतें​;
​ मजबूर है ​खुदा भी दुआओं के सामने​। ​ ​


​​ठुकरा के उसने मुझे कहा ​कि मुस्कुराओ;
मैं हंस दिया सवाल उसकी ख़ुशी का था;
मैंने खोया वो जो मेरा था ​ही नहीं;
उसने खोया वो जो सिर्फ उसी का था।


दिल किसी से तब ही लगाना;
जब दिलों को पढ़ना सीख लो;
वरना हर एक चेहरे की फितरत में;
ईमानदारी नहीं होती।


मत बहा आंसुओं में जिंदगी को;
एक नए जीवन का आगाज़ कऱ;
दिखानी है अगर दुश्मनी की हद तो;
ज़िक्र भी मत कर, नज़र अंदाज़ कर।


वो बात ही कुछ अजीब थी;
वो हमसे रूठ गयी, जो दिल के सबसे करीब थी;
उसने तोड़ दिया दिल हमारा;
और लोग कहते है वो लड़की बहुत सरीफ थी |


नहीं करती थी प्यार तो, मुझे बताया होता;
गौर फरमाइएगा;
नहीं करती थी प्यार तो, मुझे बताया होता;
बुला के पार्क में यूं धोखे से अपने भाइयो से;
तो ना पिटवाया होता।


समेट कर ले जाओ अपने झूठे वादों के अधूरे क़िस्से;
अगली मोहब्बत में तुम्हें फिर इनकी ज़रूरत पड़ेगी।


​समझ जाते थे हम उनके दिल की हर बात ​को​;​
​और ​वो हमें हर बार ​धोखा देते थे​;​
लेकिन हम भी मजबूर थे दिल के हाथों​;​
जो उन्हें बार​-​बार मौका देते थे​।


इंसानों के कंधे पर इंसान जा रहे हैं;
कफ़न में लिपट कर कुछ अरमान जा रहे हैं;
जिन्हें मिली मोहब्बत में बेवफ़ाई;
वफ़ा की तलाश में वो कब्रिस्तान जा रहे हैं।


​बेवफाई उसकी मिटा के आया हूँ;
ख़त उसके पानी में बहा के आया हूँ;
कोई पढ़ न ले उस बेवफा की यादों को;
इसलिए पानी में भी आग लगा कर आया हूँ।


ये देखा है हमने खुद को आज़माकर;
धोखा देते हैं लोग करीब आकर;
कहती है दुनिया पर दिल नहीं मानता;
कि छोड़ जाओगे तुम भी एक दिन अपना बनाकार।


​आग दिल में लगी जब वो खफा हुए;​
​महसूस हुआ तब,​ ​जब वो जुदा हुए​;
​​करके वफ़ा कुछ दे न सके वो​
​​पर बहुत कुछ दे गए जब वो बेवफा हुए।


​कहाँ से ​लाऊ हुनर उसे मनाने का​;​
कोई जवाब नहीं था उसके रूठ जाने का​;​
मोहब्बत में सजा मुझे ही मिलनी थी​;​
क्यूंकी जुर्म मैंने किया ​था ​उससे दिल लगाने का​।


कदम यूँ ही डगमगा गए रास्ते में;
वैसे संभालना हम भी जानते थे;
ठोकर भी लगी तो उसी पत्थर से;
जिसे हम अपना मानते थे।


किया अपना बन कर जो तूने सनम;
ना गैरों से वो कभी गैर करे;
अगर हमें छोड़ कर जाना चाहते हो;
जाओ चले जाओ अल्लाह खैर करे।



एक इंसान मिला जो जीना सिखा गया;
आंसुओं की नमी को पीना सिखा गया;
कभी गुज़रती थी वीरानों में ज़िंदगी;
वो शख्स वीरानों में महफ़िल सजा गया।


महफ़िल ना सही, तन्हाई तो मिलती है;
मिलें ना सही, जुदाई तो मिलती है;
प्यार में कुछ नहीं मिलता;
वफ़ा ना सही, बेवफ़ाई तो मिलती है।



​यह ना थी हमारी क़िस्मत, कि विसाल-ए-यार होता;
अगर और जीते रहते, यही इंतज़ार होता;
तेरे वादे पर जाएँ हम, तो यह जान झूठ जाना;
कि ख़ुशी से मर ना जाते, अगर ऐतबार होता।


जब भी उनकी गली से गुज़रता हूँ;
मेरी आंखें एक दस्तक दे देती हैं;
दुःख ये नहीं कि वो दरवाजा बंद कर देते है;
खुशी ये है कि वो मुझे अब भी पहचान लेते हैं।



मेरी मौत के सबब आप बने;
इस दिल के रब आप बने;
पहले मिसाल थे वफ़ा की;
जाने यूँ बेवफ़ा कब आप बने।

एक तेरी खातिर परेशाँ हूँ मैं;
टूटे दिलों की जुबाँ हूँ मैं;
तूने ठुकराया जिसको अपनाकर;
उसी दीवाने का गुमां हूँ मैं।


0 Comments